भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निसरमी भूख / संजय पुरोहित" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय पुरोहित |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:02, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
भूख घालै घेरो
गरीब रै आंगणै
नीं करै खंखारो
नीं बजावै सांकळ
पण छोडै नीं लारो
आय धमकै
आये दिन, हरमेस
ऊंच चिंतावां रो भारियो
बिन्या कोई दिन टाळ्यां।
दिनूगै-सिंझ्या
भूखै पेट उडीकता
मा-बापू
टाबर-टीकर
किण नै कैवै
अर कैवै ई कांईं
जुलमण भूख
थकै, नीं मरै
भखै गरीबड़ां रा डील
सुरसा ज्यूं बधती
इण डाकण वरणीं सूं
छूटै नीं लारो
आ सोचतो डोकरो
निकळै घर सूं बारै
चूंचां रै चुग्गै सारू
मन में विचारतो
कित्तो भलो होंवतो
जे जग में नीं हांेवती
आ निसरमी भूख।