भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मा / संजय पुरोहित" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय पुरोहित |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:02, 26 जून 2017 के समय का अवतरण

म्हैं रैयो छींयां
छीयां अर छिब
ही थांरी ई
म्हारी मा
तिसळनी जिनगी रो
चीकणो है मारग
कदैई नीं लखाई दोरफ
म्हारी पांती री थापां
थूं ई सैई
म्हारी पांती तावड़ो
थूं पोख्यो
म्हारी पांती रो सियाळो
थूं ओढ़यो
मा
म्हैं थारो इज अंस
किण भांत उतारूंला
थांरो उजगर।

इण रै बाद
म्हारै बाळां में फेरी
आपरी पोल्ली आंगळ्यां
थपकायां गाल
अणथक लडायो
नैणां सूं लाड बरसांवती बोली
जे थूं चावै
उतारणो म्हारो उजगर
तो सुण बेटा
थारै नैणां री सींव सूं बैंवती
इण गंगा रै बांध पैली पाळ
पछै खा सौगन
फेर कदै ई थूं
नीं करैला
मा रै उजगर री बातां।