भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKAnthologyMaa}}
<poem>
माँ! मैं झूठ नहीं कहता
वरना होश सँभालने के बाद से
नहीं देखता सपने अमेरिका के
मेरी मातृभाषा !
माफ़ करना तुम भी
शर्म के कारण नहीं बोल पाता माँ की ज़ुबान
कि आस-पास के लोग कहीं गंवार न समझ लें
माँ ! जैसे तुम अकेली और मरणासन्न हो
वैसे तुम्हारी सिखाई ज़ुबान है पीड़ित और उपेक्षित
लेकिन माँ !
मैं लानत भेजता हूँ उनलोगों पर
जो माँओं और मातृभूमि को छोड़ कर जा बसे हैं सात समुन्दर पार
फिर भी करते है चिरौरी
कि आहाहा....! मेरा देश , मेरा अपना देश ...
माँ! मैं अच्छा पुत्र नहीं हो पाया
दुःख तो सालता है इसका
पर माँ! तुमसे कहता हूँ सच
मैं तुम्हें याद नहीं करता हूँ वैसे
जैसे हिन्दी के कवि करते हैं सिद्धांतों में ।में।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits