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"जूण रा इग्यारा चितराम (11) / सुरेन्द्र सुन्दरम" के अवतरणों में अंतर

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लोग
लारा गिणै
म्हैं गिणूं रात
जकी आपां
भेळी बिताई
बै रात...।