भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उपरमाळ / मोहन पुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन पुरी |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:06, 27 जून 2017 के समय का अवतरण

सिणगार दैखनै
बिणजारी रो
उतर आवै हो सूरज...
मेनाळी री जळमती ठौड़‘प
अर न्हावै हो चान्दो
तिलस्वां रा कुण्ड मं...।
पण ईब
लगोलग भूमाफिया सूं
कर रयी है बंटवाड़ो
करसां री जात
आपणा बाप-दादावां री
खेत लड़ाई रो...।
सुणज्यो!
पथिकजी, वर्माजी
थहांका ऊपरमाळ रो
ईब कांई हाल हो रियो है...
अेक बिणजारो दारू पिवनै
गबल्या भिजो रियो है...।
थैं करम कर्या पण
करबा री सीख न्ह दी ...
डोफा डोपर खांच रिया
नगोजा करम बांच रियो
थैं रावळा सूं लड़ता रिया...
अर म्हैं कुरळो कर‘र भाटा टांच रिया।
रिपया रो करज, च्यार आना रो ब्याज
अण बरस होग्या पूरा साठ...
हरख अर उमाव सूं देखो
आ है नुवीं ऊपरमाळ
.... भाठां री टकसाळ।