भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आछा-माड़ा दिन / हरीश हैरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश हैरी |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:27, 27 जून 2017 के समय का अवतरण
जका देवता
सवा रिपीये रै
परसाद में
हो जांवता झट राजी
बै इज देवता
उठग्या
सौ-सौ कोस दूर
सवा मणी सूं ई
नी आया नेड़ै
ओ फरक है फगत
आछा-माड़ा दिनां रो!