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"म्हैं सोचूं / वाज़िद हसन काज़ी" के अवतरणों में अंतर

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सोचंू
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सोचूं
 
अेक घर बणावूं
 
अेक घर बणावूं
 
जिण मांय हुवै
 
जिण मांय हुवै

23:49, 27 जून 2017 के समय का अवतरण

सोचूं
अेक घर बणावूं
जिण मांय हुवै
थोड़ा'क बिळ
थोड़ा'क घौंसला
थोड़ी'क बोदी जमीन

अर रैवूं आपरै
बैळियां सागै
कीं कीड़्यां, मकोड़ा
कीं पांख, पंखैरू
अेक बिरछ
अर म्हैं

पण नीं हुवै उणमैं
सांप-बिच्छू
चील-गिरजड़ा
अर कांटा आळा
थूर
राजनीति रा।