भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हरियाळी नीं है सुरंगी / मधु आचार्य 'आशावादी'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:47, 28 जून 2017 के समय का अवतरण

काल तांई थे
सागै-सागै हा
आज क्यूं बदळ लियो
थांरो मारग
इयां कियां तोड़ न्हाख्यो
उण बापड़ै रूंख सूं
पुराणो रिस्तो।
अचाणचक मिलगी हुवैला
हरियाळी
पण बा सदा नीं रैवै सुरंगी
उण रो भी रूप बदळसी
फेरूं इण रूंख री
जरूरत पड़सी
कीं सोचो
इण रूंख रै साम्हीं
माथो टेको।