भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छोरी : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:33, 28 जून 2017 के समय का अवतरण


डागळै माथै
उडता किन्ना
लड़ता पेच
कटता किन्ना
देख हांसी
पगां कूद-कूद
बजाई ताळी
बापू दी दाकल
मा लढकाई
बीरो हाल नीं बोलै
इण बात पर!