भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जड़ : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:35, 28 जून 2017 के समय का अवतरण


रूंख जीव है
जींवतो जीव
जावै नीं कठैई
सांस पण लेवै
मिनख रै दाईं
विग्यान बतावै!

रूंख जीव है तो
रूंख री धड़ है
ऊंडी पड़ी जड़
पान छाई पेडी
मुंडो है फगत
हठीले रूंख रो
मुंडो देख्यां
धड़ नै भी अटल
साम्भणी पड़ैला!