भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हंसी आयगी / मधु आचार्य 'आशावादी'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:50, 28 जून 2017 के समय का अवतरण

बरस बीतग्या
म्हारी हंसी गमगी
जाणै कुण लेयग्यो
म्हैं ई उणनै नीं सोध्यो
कांई करणो है हंसी रो
जे नीं हंसांला
तो मरां तो कोनी
खाली हंसण सूं जीवां भी कोनी
उण दिन
हंसी
आपै आप साम्हीं आय ‘र ऊभगी
उणनै देखतां ई
आंख्यां सजळ हुयगी
बा बोली -
‘म्हैं इण खातर पाछी आई
क्यूं कै थारी उमर तो गई ।‘
आ कैय ‘र बा चुप हुयगी
म्हनै भळै हंसी आयगी।