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"नूंतौ / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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बेटी रै ब्याव में
बुलावणों
खाली नूँतो नीं हो थानै

म्हारो प्रेम हो
म्हारी यादां ही
म्हारो जुड़ाव हो थां सूँ..

म्हूं आँख्यां बिछायां
अडिकै हो आखरताँईं
ढूंढे ही म्हारी आँख्यां

पण
थे नी पूग सक्या

स्यात थारी भी
कोई मजबूरी रैयी होसी..।