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20:38, 1 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
बतासले झारेका फूलहरू संगाली
विरहको आँशुले तिनै फूल पखाली
माला गाँसी राखे है भरे भेट्न आउँला
कर्मै आफ्नो अभागी
चोखो फूल कहाँ पाउँला
चोखो फूल चाहिन्छ ढुङ्गाको देउतालाई
माया किन व्यर्थैमा मरि जाने मान्छेलाई
बत्ती बाल्नु पर्दैन अधेरो मै आउँला
अधेरो मै जीवन बित्यो
उज्यालो म कहाँ पाउँला
शब्द - हरिभक्त कटुवाल
स्वर, संगीत - अम्बर गुरुङ