भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चस्किदियो छाती / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) (' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुमन पोखरेल |अनुवादक= |संग्रह= हज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
चस्किदियो छाती फेरि सम्झनामा तेरो | चस्किदियो छाती फेरि सम्झनामा तेरो |
09:33, 9 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
चस्किदियो छाती फेरि सम्झनामा तेरो
किन अझै आफ्नी हुन्छेस् कल्पनामा मेरो
मनभरि तेरो माया छातीभरि घात
दिन दिन्छु अरूलाई आफ्नो केवल रात
अन्धकारमा किन घोच्छेस् यादहरूले यस्तो
फूल जति अरूको र काँढा मेरो जस्तो
रम्न खोज्छु केशमा, त्यो रात बनिदिन्छ
आँखाभित्र डुब्न खोज्दा आँसु झरिदिन्छ
अधरका मिठासहरू आज तिर्सना जस्तो
सँगै बिताएका रातहरू अब सपना जस्तो