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"कोनी तूटै रीत / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

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फगत जावणो सोरो है
आवणो कोनी हुवै सारू।

दोरा-सोरा
कियां ई रैया हुवो भलांई
पाछा घिरतां
कीं न कीं
लारै छूट ई जावै
का आय जावै सागै।

लारै छूट्योड़ै नैं
संभाळण सारू
जातरा करै मन
सागै आयोड़ो
चेतन राखै
ओळूं री धूणी।

बियां जावती बेळा ई तो
छोड़ीजै कठै कोई ठौड़
मतळब कीं छूटै लारै
का आवै साग-सागैै।

जीवां जित्तै
कोनी तूटै आ रीत।