भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुण है बो / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:10, 9 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

दुनिया रै
हरेक गांव में
पक्कायत लाधैला आपनैं
गाभा सीड़तो दरजी
बाळ काटतो नाई
अर टापरा संवारतो कारीगर।

दुनिया रै
हरेक घर में
आप जोय सको
काच, कांगसियो अर तेल-फुलेल।

फुटरापै सारू आफळ
मानखै रो
जुगां-जूनो सुभाव है
पण कुण है बो
जको जद-कद
धूड़, धुंवै अर आग सूं
बदरंग कर न्हाखै
मिनखपणै रो उणियारो।