भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
जो सितारा बन के दमक सके
कि मैं वो करिश्मा दिखा सकूँ
कहीं फूल कोई खिला सकूँ
कहीं दीप कोई जला सकूँ </poem>