भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमने दिल जो दिया तो दिया कोई क़ीमत नहीं माँगते / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=रोशनी का कारव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:46, 18 जुलाई 2017 का अवतरण
हमने दिल जो दिया तो दिया कोई क़ीमत नहीं माँगते।
बस बराबर मुलाका़त होती रहे हम मुहब्बत नहीं माँगते।
आग कोई बुझाने में जो हाथ मेरा तनिक जल गया,
अपने घर वालों से इस सबब हम नसीहत नहीं माँगते।
भाइयों की खुशी के लिए थेाड़ा संतोष जो कर लिया,
उसके बदले में उनकी तरफ़ से हम मुरौव्वत नहीं माँगते।
घन कमाने की कोशिश करें, ख़्याल इतना तो लेकिन रहे,
हाय जिसमें ग़रीबों की हो ऐसी दौलत नहीं माँगते।
वो हवाओं के झोंके थे जो छू के उसके लबों को गये,
ऐसी गुस्ताखियों के लिए वो इजाज़त नहीं माँगते।