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"केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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16:01, 18 जुलाई 2017 का अवतरण

 केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है।
 है किसान मामूली -सा,पर बहुत बड़ा दिल रखता है।

 वही अन्नदाता है सबका यह भी लोग बिसुर जाते,
 चाँद जो छूने निकले हैं उनका भी पेट वो भरता है।

 पानी में जो तैर रहा वो आसमान का तारा है,
 सबसे ऊपर रहता है, पर सबसे नीचे दिखता है।

 ईश्वर ने किस ख़ता पे उसकी पाला -पाथर दे मारा,
 हरा -भरा था खेत, अभी वो श्मशान- सा जलता है।

किसके आगे हाथ पसारे, नाज़ है उसे किसानी पर,
वो भी अपने गाँव में दिल्ली और मुंबई रखता है।