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"जीवन भनूँ त घात छ / दिनेश अधिकारी" के अवतरणों में अंतर
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− | जीवन भनूँ त घात छ | + | |
− | मृत्यु भनूँ त सास छ | + | जीवन भनूँ त घात छ |
− | दोधारमा बाँचूँ कति? | + | मृत्यु भनूँ त सास छ |
− | + | दोधारमा बाँचूँ कति ? | |
− | + | हरगीतमा चित्कार छ | |
− | न बास छ न आश छ | + | |
− | + | न बास छ, न आश छ | |
− | जहाँ म खोज्छु उठूँ भनेर | + | मान्छेहरूकै त्रास छ |
− | + | जहाँ म खोज्छु उठूँ भनेर | |
− | + | त्यहीँ असारे भास छ | |
− | अँध्यारो छ, ओह्रालो छ | + | |
− | + | अँध्यारो छ, ओह्रालो छ | |
− | चर्किसके चाहना सबै | + | खेद्नेहरूकै लाम छ |
− | दुख्ने | + | चर्किसके चाहना सबै |
+ | दुख्ने मुटुचाहिँ बाँकी छ | ||
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11:06, 23 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
जीवन भनूँ त घात छ
मृत्यु भनूँ त सास छ
दोधारमा बाँचूँ कति ?
हरगीतमा चित्कार छ
न बास छ, न आश छ
मान्छेहरूकै त्रास छ
जहाँ म खोज्छु उठूँ भनेर
त्यहीँ असारे भास छ
अँध्यारो छ, ओह्रालो छ
खेद्नेहरूकै लाम छ
चर्किसके चाहना सबै
दुख्ने मुटुचाहिँ बाँकी छ