भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तिमी जुन रहरले / दिनेश अधिकारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | + | तिमी जुन रहरले ममा फुल्न आयौ | |
− | + | सबै सुख हराए, सधैँ चोट पायौ | |
− | + | म डुब्दो किनारा कहाँ हाँस्न सक्नु ? | |
+ | व्यर्थै तिमीले मेरो हात समायौ | ||
− | + | बैँसालु तिम्रा ती रहरहरूमा | |
− | + | न मैले कहिल्यै हरियाली कोरेँ | |
− | र | + | राताम्य तिम्रा ती अधरहरूमा |
+ | न मैले कहिल्यै खुसियाली पोतेँ | ||
+ | र, सायद रिसायौ तिमी भित्रभित्रै | ||
+ | न भित्री तिम्रा खुल्दुली सोधेँ | ||
+ | रुझे हुन् ती तिम्रा पलक र आँखा | ||
+ | मसँग कहिल्यै इशारा नबोल्दै | ||
+ | रुखे हुन् ती तिम्रा यौवन र भाखा | ||
+ | मसँग कहिल्यै निःश्वास नखोल्दै | ||
+ | र, सायद सराप्यौ सबै बैँसलाई | ||
+ | जो शून्यतामा बिलाए मजस्तै | ||
</poem> | </poem> |
11:32, 23 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
तिमी जुन रहरले ममा फुल्न आयौ
सबै सुख हराए, सधैँ चोट पायौ
म डुब्दो किनारा कहाँ हाँस्न सक्नु ?
व्यर्थै तिमीले मेरो हात समायौ
बैँसालु तिम्रा ती रहरहरूमा
न मैले कहिल्यै हरियाली कोरेँ
राताम्य तिम्रा ती अधरहरूमा
न मैले कहिल्यै खुसियाली पोतेँ
र, सायद रिसायौ तिमी भित्रभित्रै
न भित्री तिम्रा खुल्दुली सोधेँ
रुझे हुन् ती तिम्रा पलक र आँखा
मसँग कहिल्यै इशारा नबोल्दै
रुखे हुन् ती तिम्रा यौवन र भाखा
मसँग कहिल्यै निःश्वास नखोल्दै
र, सायद सराप्यौ सबै बैँसलाई
जो शून्यतामा बिलाए मजस्तै