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"चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन / आलोक श्रीवास्तव-१" के अवतरणों में अंतर
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− | झरना,दरिया,झील,समंदर,भीनी-सी पुरवाई अम्मा<br><br> | + | झरना, दरिया, झील, समंदर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा<br><br> |
− | उसने ख़ुद को खोकर; | + | उसने ख़ुद को खोकर; मुझ में एक नया आकार लिया है<br> |
− | धरती,अंबर,आग,हवा,जल जैसी ही सच्चाई अम्मा<br><br> | + | धरती, अंबर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा<br><br> |
− | बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं,तब-<br> | + | बाबूजी गुज़रे, आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं,तब-<br> |
मैं घर में सबसे छोटा था,मेरे हिस्से आई अम्मा<br><br> | मैं घर में सबसे छोटा था,मेरे हिस्से आई अम्मा<br><br> | ||
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे<br> | घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे<br> | ||
− | चुपके-चुपके कर देती है,जाने कब तुरपाई अम्मा | + | चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा |
22:14, 16 जून 2008 का अवतरण
चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर-शराबा,सूनापन,तनहाई अम्मा
सारे रिश्ते- जेठ-दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे
झरना, दरिया, झील, समंदर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा
उसने ख़ुद को खोकर; मुझ में एक नया आकार लिया है
धरती, अंबर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा
बाबूजी गुज़रे, आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं,तब-
मैं घर में सबसे छोटा था,मेरे हिस्से आई अम्मा
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा