भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कश्ती में आ के तूफाँ साहिल तलाशता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=उजाले का सफर /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

14:52, 5 अगस्त 2017 का अवतरण

कश्ती में आ के तूफाँ साहिल तलाशता है।
दुनिया को देने वाला, दुनिया से माँगता है।

चलने में ही मज़ा है चलता ही जा रहा हूँ,
मंजिल के आगे मंजिल, मंजिल का क्या पता हैं।

इक रोज़ मान लोगे तुम ख़ुद-ब-खुद हकीकत,
सबसे बड़ा वो इन्साँ जो प्यार बाँटता है।

सब कुछ दिया उसी का, दौलत भी सब उसी की,
वो है ख़ुदा तो फिर क्या वो मुझसे चाहता है।

नादां समझ रहा है लोगों को ज्योतिषी वो,
हाथों की लकीरों में किस्मत को बाँचता हैं।