भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बादर के मनमानी / प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद सोनवानी 'पुष्प' |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:55, 20 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

देखा बादर के सईतानी।
करथे ओ कतका मनमानी।

गरजत-घुमरत आथे जी।
बिजली घलो चमकाथे जी।

हमला खुबेच सताथे जी।
बरसा घलो कराथे जी।

अबड़ चुहथे खपरा के छानी।
देखा बादर के सईतानी।