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"धड़कते, साँस लेते, रुकते / आलोक श्रीवास्तव-१" के अवतरणों में अंतर
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कोई तो है जिसे अपने मैं पलते मैंने देखा है | कोई तो है जिसे अपने मैं पलते मैंने देखा है | ||
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तुम्हारे ख़ून से मेरी रगों में ख़्वाब हैं रौशन | तुम्हारे ख़ून से मेरी रगों में ख़्वाब हैं रौशन | ||
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तुम्हारी आदतों में ख़ुद को ढलते मैंने देखा है | तुम्हारी आदतों में ख़ुद को ढलते मैंने देखा है | ||
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मेरी ख़ामोशियों में तैरती हैं,तेरी आवाज़ें | मेरी ख़ामोशियों में तैरती हैं,तेरी आवाज़ें | ||
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तेरे सीने में अपना दिल मचलते मैंने देखा है | तेरे सीने में अपना दिल मचलते मैंने देखा है | ||
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सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है | सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है | ||
− | तुम्हारी हसरतें ही ख़्वाब में रस्ता | + | |
+ | तुम्हारी हसरतें ही ख़्वाब में रस्ता दिखाती हैं | ||
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ख़ुद अपने आप को नींदों में चलते मैंने देखा है | ख़ुद अपने आप को नींदों में चलते मैंने देखा है |
12:44, 17 जून 2008 का अवतरण
पिता के नाम-
धड़कते, साँस लेते, रुकते-चलते मैंने देखा है
कोई तो है जिसे अपने मैं पलते मैंने देखा है
तुम्हारे ख़ून से मेरी रगों में ख़्वाब हैं रौशन
तुम्हारी आदतों में ख़ुद को ढलते मैंने देखा है
मेरी ख़ामोशियों में तैरती हैं,तेरी आवाज़ें
तेरे सीने में अपना दिल मचलते मैंने देखा है
मुझे मालूम है तेरी दुआएँ साथ चलती हैं
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
तुम्हारी हसरतें ही ख़्वाब में रस्ता दिखाती हैं
ख़ुद अपने आप को नींदों में चलते मैंने देखा है