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"उनको भला हम क्या कहें जो सोचते नहीं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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उनको भला हम क्या कहें जो सोचते नहीं।
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उनको भला हम क्या कहें जो सोचते नहीं
 
उनकी ज़ुबान गिरवी है वो  बोलते नही।
 
उनकी ज़ुबान गिरवी है वो  बोलते नही।
  
हम चाहते हैं  प्यार  हमारा  रहे अमर,
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अपनी सलामती की दुआ मांगते  नहीं।
 
अपनी सलामती की दुआ मांगते  नहीं।
  
दो पल की जिंदगी है ये हँसकर गुजार दें,
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दो पल की जिंदगी है ये हँसकर गुजार दें
 
हम फूल हैं इसके सिवा कुछ जानते नहीं।
 
हम फूल हैं इसके सिवा कुछ जानते नहीं।
  
इन्सानियत की देते वो ज़्यादा दुहाइयाँ,
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इन्सानियत की देते वो ज़्यादा दुहाइयाँ
 
इन्सान को, इन्सान ही जो मानते नहीं।
 
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चलते हुए हम आ गये हैं किस मुकाम पर,
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चलते हुए हम आ गये हैं किस मुकाम पर
 
बिल्कुल नयी जगह है जिसे  जानते नहीं।
 
बिल्कुल नयी जगह है जिसे  जानते नहीं।
 
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16:16, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

उनको भला हम क्या कहें जो सोचते नहीं
उनकी ज़ुबान गिरवी है वो बोलते नही।

हम चाहते हैं प्यार हमारा रहे अमर
अपनी सलामती की दुआ मांगते नहीं।

दो पल की जिंदगी है ये हँसकर गुजार दें
हम फूल हैं इसके सिवा कुछ जानते नहीं।

इन्सानियत की देते वो ज़्यादा दुहाइयाँ
इन्सान को, इन्सान ही जो मानते नहीं।

चलते हुए हम आ गये हैं किस मुकाम पर
बिल्कुल नयी जगह है जिसे जानते नहीं।