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"जो तुझे छोड़ गये तू भी उन्हें याद न कर / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | जो तुझे छोड़ गये तू भी उन्हें याद न | + | जो तुझे छोड़ गये तू भी उन्हें याद न कर |
वो थे मौसम की तरह ओ मेरे वीरान नगर। | वो थे मौसम की तरह ओ मेरे वीरान नगर। | ||
− | मानता हूँ कि कोई ज़ोर नहीं चल पाता | + | मानता हूँ कि कोई ज़ोर नहीं चल पाता |
याद आयेगा बहुत तुझको भी गुज़रा मंज़र। | याद आयेगा बहुत तुझको भी गुज़रा मंज़र। | ||
− | आजकल लोग तरक्की की बात करते हैं | + | आजकल लोग तरक्की की बात करते हैं |
मेरे बाबा की लगायी हुई बगिया है किधर। | मेरे बाबा की लगायी हुई बगिया है किधर। | ||
− | ये मकाँ कुछ नहीं देगा तुझे जईफ़ी में | + | ये मकाँ कुछ नहीं देगा तुझे जईफ़ी में |
खाट भी कोई मिलेगी तो वो इनायत पर। | खाट भी कोई मिलेगी तो वो इनायत पर। | ||
− | अब बुजुर्गों की ज़रूरत नई पीढ़ी को नहीं | + | अब बुजुर्गों की ज़रूरत नई पीढ़ी को नहीं |
भूल जा अपने तज़ुर्बो की कोई बात न कर। | भूल जा अपने तज़ुर्बो की कोई बात न कर। | ||
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16:18, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
जो तुझे छोड़ गये तू भी उन्हें याद न कर
वो थे मौसम की तरह ओ मेरे वीरान नगर।
मानता हूँ कि कोई ज़ोर नहीं चल पाता
याद आयेगा बहुत तुझको भी गुज़रा मंज़र।
आजकल लोग तरक्की की बात करते हैं
मेरे बाबा की लगायी हुई बगिया है किधर।
ये मकाँ कुछ नहीं देगा तुझे जईफ़ी में
खाट भी कोई मिलेगी तो वो इनायत पर।
अब बुजुर्गों की ज़रूरत नई पीढ़ी को नहीं
भूल जा अपने तज़ुर्बो की कोई बात न कर।