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"दर्द से मुक्ति कभी तू ज़रूर पायेगा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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दर्द से मुक्ति कभी तू ज़रूर पायेगा।
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दर्द से मुक्ति कभी तू ज़रूर पायेगा
 
वक़्त के साथ सफ़र भी तेरा कट जायेगा।
 
वक़्त के साथ सफ़र भी तेरा कट जायेगा।
  
हौंसलों पर चले है जिंदगी पाँवों पे नहीं,
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हौंसलों पर चले है जिंदगी पाँवों पे नहीं
 
पग बढ़े या न बढ़े, पर मुकाम आयेगा।
 
पग बढ़े या न बढ़े, पर मुकाम आयेगा।
  
न तो पाँवों को तू ठोकर से बचा पाया है,
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न तो पाँवों को तू ठोकर से बचा पाया है
 
न तो दामन को तू दागों से बचा पायेगा।
 
न तो दामन को तू दागों से बचा पायेगा।
  
चलो अच्छा हुआ जो ख़्वाब कई टूट गये,
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अब न पलकों पे तू भारी वज़न उठायेगा।
 
अब न पलकों पे तू भारी वज़न उठायेगा।
  
कहीं शिकवे, कहीं मलाल, कहीं हैं फ़िकरे,
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कहीं शिकवे, कहीं मलाल, कहीं हैं फ़िकरे
 
मुफ़त में सिर्फ़ यही तीन चीज़ पायेगा।
 
मुफ़त में सिर्फ़ यही तीन चीज़ पायेगा।
 
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16:19, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

दर्द से मुक्ति कभी तू ज़रूर पायेगा
वक़्त के साथ सफ़र भी तेरा कट जायेगा।

हौंसलों पर चले है जिंदगी पाँवों पे नहीं
पग बढ़े या न बढ़े, पर मुकाम आयेगा।

न तो पाँवों को तू ठोकर से बचा पाया है
न तो दामन को तू दागों से बचा पायेगा।

चलो अच्छा हुआ जो ख़्वाब कई टूट गये
अब न पलकों पे तू भारी वज़न उठायेगा।

कहीं शिकवे, कहीं मलाल, कहीं हैं फ़िकरे
मुफ़त में सिर्फ़ यही तीन चीज़ पायेगा।