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"हम मुसाफिर हैं हमारा रास्तों से स्नेह है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | हम मुसाफिर हैं हमारा रास्तों से स्नेह | + | हम मुसाफिर हैं हमारा रास्तों से स्नेह है |
चल रही हैं ज़िंदगी इसमें कहाँ सन्देह है। | चल रही हैं ज़िंदगी इसमें कहाँ सन्देह है। | ||
− | श्वास के आवागमन में हाथ आयी उम्र केवल | + | श्वास के आवागमन में हाथ आयी उम्र केवल |
हक़ अदा करना पड़ेगा जब तलक यह देह है। | हक़ अदा करना पड़ेगा जब तलक यह देह है। | ||
− | कुछ न बोया जा सके जिसमें न कुछ अँखुआ सके | + | कुछ न बोया जा सके जिसमें न कुछ अँखुआ सके |
एक नीरस ज़िंदगी तो सिर्फ़ बालू-रेह है। | एक नीरस ज़िंदगी तो सिर्फ़ बालू-रेह है। | ||
− | जेा घटा चढ़ती है ज़्यादा वो बरसती है कहाँ | + | जेा घटा चढ़ती है ज़्यादा वो बरसती है कहाँ |
रंग उसका और होता जो बरसता मेह है। | रंग उसका और होता जो बरसता मेह है। | ||
− | जो मुहब्बत से चला आये वही रह ले यहाँ | + | जो मुहब्बत से चला आये वही रह ले यहाँ |
सिर्फ़ अपने वास्ते केवल नहीं यह गेह है। | सिर्फ़ अपने वास्ते केवल नहीं यह गेह है। | ||
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16:19, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
हम मुसाफिर हैं हमारा रास्तों से स्नेह है
चल रही हैं ज़िंदगी इसमें कहाँ सन्देह है।
श्वास के आवागमन में हाथ आयी उम्र केवल
हक़ अदा करना पड़ेगा जब तलक यह देह है।
कुछ न बोया जा सके जिसमें न कुछ अँखुआ सके
एक नीरस ज़िंदगी तो सिर्फ़ बालू-रेह है।
जेा घटा चढ़ती है ज़्यादा वो बरसती है कहाँ
रंग उसका और होता जो बरसता मेह है।
जो मुहब्बत से चला आये वही रह ले यहाँ
सिर्फ़ अपने वास्ते केवल नहीं यह गेह है।