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"करो जो जी में आये कौन किसको रोकता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है। | बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है। | ||
− | बदल देगा वो सारा फैसला ही देखना कल | + | बदल देगा वो सारा फैसला ही देखना कल |
उसे मालूम है जज भी तो पैसा सूँघता है। | उसे मालूम है जज भी तो पैसा सूँघता है। | ||
− | दिया चेतावनी है मंत्री के एक गुर्गे ने, | + | दिया चेतावनी है मंत्री के एक गुर्गे ने, |
लगेगा दो तमाचा भ्रष्ट किसको बोलता है। | लगेगा दो तमाचा भ्रष्ट किसको बोलता है। | ||
17:11, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
करो जो जी में आये कौन किसको रोकता है
बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है।
बदल देगा वो सारा फैसला ही देखना कल
उसे मालूम है जज भी तो पैसा सूँघता है।
दिया चेतावनी है मंत्री के एक गुर्गे ने,
लगेगा दो तमाचा भ्रष्ट किसको बोलता है।
गुरू कक्षा में सोता है यही इतना नहीं है
अरे, वो कॅापियाँ भी भाँग खाकर जाँचता है।
किसी पर जुल्म होते देखकर कैसे रहूँ चुप
हमारा देश है, इससे हमारा वास्ता है।