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"अच्छा हुआ जो रंजो ग़म से दूर हो गया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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पिंजरे का वो सुआ था जिसे प्यार था किया,
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मौका मिला तो फुर्र से आज़ाद हो गया।
 
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मेले में वो खोता तो उसे ढूँढ ही लेता,
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वो बेंवफ़ा चुपके से मेरे दिल में खो गया।
 
वो बेंवफ़ा चुपके से मेरे दिल में खो गया।
  
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बच्चों की तरह रो के हथेली भिगो गया।
 
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वो तो हमारे दिल में है दुनिया मगर कहे,
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वो तो हमारे दिल में है दुनिया मगर कहे
 
आता नहीं है लौट के दुनिया से जो गया।
 
आता नहीं है लौट के दुनिया से जो गया।
 
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17:20, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

अच्छा हुआ जो रंजो ग़म से दूर हो गया
वो लोरियाँ मिली हैं कि इन्सान सो गया।

पिंजरे का वो सुआ था जिसे प्यार था किया
मौका मिला तो फुर्र से आज़ाद हो गया।

मेले में वो खोता तो उसे ढूँढ ही लेता
वो बेंवफ़ा चुपके से मेरे दिल में खो गया।

पत्थर समझ रहे थे जिसे लोग कल तलक
बच्चों की तरह रो के हथेली भिगो गया।

वो तो हमारे दिल में है दुनिया मगर कहे
आता नहीं है लौट के दुनिया से जो गया।