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"मुझे तो आजकल अपनी ख़बर नहीं मिलती / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मुझे तो आजकल अपनी ख़बर नहीं मिलती।
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मुझे तो आजकल अपनी ख़बर नहीं मिलती
 
मौत भी आदमी को पेशतर नहीं मिलती।
 
मौत भी आदमी को पेशतर नहीं मिलती।
  
गाँव जब छोड दिया तब समझ में बात आयी,
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गाँव जब छोड दिया तब समझ में बात आयी
 
गाँव की चाँदनी फुटपाथ पर नहीं मिलती।
 
गाँव की चाँदनी फुटपाथ पर नहीं मिलती।
  
ये हकी़क़त नहीं है सिर्फ एक धोखा है,
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ये हकी़क़त नहीं है सिर्फ एक धोखा है
 
कभी इज्ज़त ख़ुदी को बेचकर नहीं मिलती।
 
कभी इज्ज़त ख़ुदी को बेचकर नहीं मिलती।
  
खर्च पैसा करोया फिर कोई जुगाड़ करो,
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खर्च पैसा करोया फिर कोई जुगाड़ करो
 
अब सड़ी नौकरी भी इल्म पर नहीं मिलती।
 
अब सड़ी नौकरी भी इल्म पर नहीं मिलती।
  
कभी जुलूस निकालो, कभी हड़ताल करो,
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कभी जुलूस निकालो, कभी हड़ताल करो
 
नयी पगार हाथ जोड़कर नहीं मिलती।
 
नयी पगार हाथ जोड़कर नहीं मिलती।
  
बात में झूठ हो तो बात नहीं बन पाती,
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बात में झूठ हो तो बात नहीं बन पाती
 
नज़र में खोट जहाँ हो नज़र नहीं मिलती।
 
नज़र में खोट जहाँ हो नज़र नहीं मिलती।
 
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17:23, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मुझे तो आजकल अपनी ख़बर नहीं मिलती
मौत भी आदमी को पेशतर नहीं मिलती।

गाँव जब छोड दिया तब समझ में बात आयी
गाँव की चाँदनी फुटपाथ पर नहीं मिलती।

ये हकी़क़त नहीं है सिर्फ एक धोखा है
कभी इज्ज़त ख़ुदी को बेचकर नहीं मिलती।

खर्च पैसा करोया फिर कोई जुगाड़ करो
अब सड़ी नौकरी भी इल्म पर नहीं मिलती।

कभी जुलूस निकालो, कभी हड़ताल करो
नयी पगार हाथ जोड़कर नहीं मिलती।

बात में झूठ हो तो बात नहीं बन पाती
नज़र में खोट जहाँ हो नज़र नहीं मिलती।