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"दूर करो सब गिले व शिकवे अच्छी बात करो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | दूर करो सब गिले व शिकवे अच्छी बात | + | दूर करो सब गिले व शिकवे अच्छी बात करो |
सूरज भी अब लगा है ढलने अच्छी बात करो। | सूरज भी अब लगा है ढलने अच्छी बात करो। | ||
− | अन्धेरा अब दूर नहीं है यह भी तो देखो | + | अन्धेरा अब दूर नहीं है यह भी तो देखो |
पंछी भी अब लगे लौटने अच्छी बात करो। | पंछी भी अब लगे लौटने अच्छी बात करो। | ||
− | घर की बातें घर वाले ही जानें तो अच्छा है | + | घर की बातें घर वाले ही जानें तो अच्छा है |
अभी तोकुछ मेहमान हैं ठहरे अच्छी बात करो। | अभी तोकुछ मेहमान हैं ठहरे अच्छी बात करो। | ||
− | अच्छी बाते सच भी हों यह कहाँ ज़रूरी है | + | अच्छी बाते सच भी हों यह कहाँ ज़रूरी है |
अच्छा लगता हैं सुनकरके अच्छी बात करो। | अच्छा लगता हैं सुनकरके अच्छी बात करो। | ||
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17:23, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
दूर करो सब गिले व शिकवे अच्छी बात करो
सूरज भी अब लगा है ढलने अच्छी बात करो।
अन्धेरा अब दूर नहीं है यह भी तो देखो
पंछी भी अब लगे लौटने अच्छी बात करो।
घर की बातें घर वाले ही जानें तो अच्छा है
अभी तोकुछ मेहमान हैं ठहरे अच्छी बात करो।
अच्छी बाते सच भी हों यह कहाँ ज़रूरी है
अच्छा लगता हैं सुनकरके अच्छी बात करो।