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"मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी।
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मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी
 
चर्चों में आम जो हो गयी इक नासमझ शुरूआत थी।
 
चर्चों में आम जो हो गयी इक नासमझ शुरूआत थी।
  
जहाँ चाँदनी तेरे साथ है वहीं काजलों की मुहर भी है,
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जहाँ चाँदनी तेरे साथ है वहीं काजलों की मुहर भी है
 
मेरे दाग़ सारे मिटा दिये कितनी हसीन वो रात थी।
 
मेरे दाग़ सारे मिटा दिये कितनी हसीन वो रात थी।
  
आँखें हसीन हैं सुरमई जहाँ सुर्ख डोरे हैं जादुई,
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आँखें हसीन हैं सुरमई जहाँ सुर्ख डोरे हैं जादुई
 
वर्षों जो बाँधे रही मुझे लम्हों की वो मुलाकात थी।
 
वर्षों जो बाँधे रही मुझे लम्हों की वो मुलाकात थी।
  
ऋतुओं से कोई गिला नही मौसम जो मुझ पे है मेहरबाँ,
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ऋतुओं से कोई गिला नही मौसम जो मुझ पे है मेहरबाँ
 
कल सबकी छत पर धूप थी, छत पर मेरे बरसात थी।
 
कल सबकी छत पर धूप थी, छत पर मेरे बरसात थी।
  
था भरा सरोवर रूप का जहाँ मस्त कमलों की पाँत थी,
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था भरा सरोवर रूप का जहाँ मस्त कमलों की पाँत थी
 
चाँदी की उजली थाल में ज्यों धूप  की सौगात थी।
 
चाँदी की उजली थाल में ज्यों धूप  की सौगात थी।
 
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17:24, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी
चर्चों में आम जो हो गयी इक नासमझ शुरूआत थी।

जहाँ चाँदनी तेरे साथ है वहीं काजलों की मुहर भी है
मेरे दाग़ सारे मिटा दिये कितनी हसीन वो रात थी।

आँखें हसीन हैं सुरमई जहाँ सुर्ख डोरे हैं जादुई
वर्षों जो बाँधे रही मुझे लम्हों की वो मुलाकात थी।

ऋतुओं से कोई गिला नही मौसम जो मुझ पे है मेहरबाँ
कल सबकी छत पर धूप थी, छत पर मेरे बरसात थी।

था भरा सरोवर रूप का जहाँ मस्त कमलों की पाँत थी
चाँदी की उजली थाल में ज्यों धूप की सौगात थी।