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"मुझे साथ अपने जो ले चले मुझे उस जहाँ की तलाश है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मुझे साथ अपने जो ले चले मुझे उस जहाँ की  तलाश है।
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मुझे साथ अपने जो ले चले मुझे उस जहाँ की  तलाश है
 
नयी कोंपलों का जो जन्म दे मुझे उस खिजाँ की  तलाश है।
 
नयी कोंपलों का जो जन्म दे मुझे उस खिजाँ की  तलाश है।
  
तेरा ये शहर भी अजीब है कि हवा भी है जहाँ क़ैद में,
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तेरा ये शहर भी अजीब है कि हवा भी है जहाँ क़ैद में
 
मेरा दिल यहाँ पे लगे नहीं खुले आसमाँ की  तलाश है।
 
मेरा दिल यहाँ पे लगे नहीं खुले आसमाँ की  तलाश है।
  
मुझे हुस्न उसका पता न था, कभी प्यार का ये नशा न था,
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मुझे हुस्न उसका पता न था, कभी प्यार का ये नशा न था
 
मेरा रोम - रोम है कह रहा मुझे जाने-जाँ  की  तलाश है।
 
मेरा रोम - रोम है कह रहा मुझे जाने-जाँ  की  तलाश है।
  
जहाँ लोग थे और भीड़ थी वहाँ रास्ता आसान था,
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जहाँ लोग थे और भीड़ थी वहाँ रास्ता आसान था
 
तन्हा भी है कोई जिंदगी मुझे कारवाँ की  तलाश है।
 
तन्हा भी है कोई जिंदगी मुझे कारवाँ की  तलाश है।
  
जो बसा नहीं उसे क्या पता कि उजाड़ से भी लगाव हो,
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जो बसा नहीं उसे क्या पता कि उजाड़ से भी लगाव हो
 
जो सता - सता के रूला रहा उसी मेहरबाँ की  तलाश है।
 
जो सता - सता के रूला रहा उसी मेहरबाँ की  तलाश है।
 
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17:26, 23 अगस्त 2017 का अवतरण

मुझे साथ अपने जो ले चले मुझे उस जहाँ की तलाश है
नयी कोंपलों का जो जन्म दे मुझे उस खिजाँ की तलाश है।

तेरा ये शहर भी अजीब है कि हवा भी है जहाँ क़ैद में
मेरा दिल यहाँ पे लगे नहीं खुले आसमाँ की तलाश है।

मुझे हुस्न उसका पता न था, कभी प्यार का ये नशा न था
मेरा रोम - रोम है कह रहा मुझे जाने-जाँ की तलाश है।

जहाँ लोग थे और भीड़ थी वहाँ रास्ता आसान था
तन्हा भी है कोई जिंदगी मुझे कारवाँ की तलाश है।

जो बसा नहीं उसे क्या पता कि उजाड़ से भी लगाव हो
जो सता - सता के रूला रहा उसी मेहरबाँ की तलाश है।