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"बहुत दिनों के बाद खिले दो फूल हमारे आँगन में / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बहुत दिनों के बाद खिले दो फूल हमारे आँगन में।
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बहुत दिनों के बाद खिले दो फूल हमारे आँगन में
 
वो आखों के तारे, वो घर के उजियारे आँगन में।
 
वो आखों के तारे, वो घर के उजियारे आँगन में।
  
घर के कोने - कोने में जैसे बहार -सी छाई है,
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घर के कोने - कोने में जैसे बहार -सी छाई है
 
रंग बिरंगी उड़ें तितलियाँ साँझ - सकारे आँगन में।
 
रंग बिरंगी उड़ें तितलियाँ साँझ - सकारे आँगन में।
  
जहाँ कभी खामोशी थी अब किलकारी की गूँजें है,
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जहाँ कभी खामोशी थी अब किलकारी की गूँजें है
 
खेल रहा घर पूरा -पूरा प्यारे - प्यारे आँगन में।
 
खेल रहा घर पूरा -पूरा प्यारे - प्यारे आँगन में।
  
स्वच्छ चाँदनी के लिवास में अन्धेरा भी चमक उठा,
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स्वच्छ चाँदनी के लिवास में अन्धेरा भी चमक उठा
 
रात परी जैसे उतरी है आज हमारे आँगन में।
 
रात परी जैसे उतरी है आज हमारे आँगन में।
  
जेठ गया, आषाढ़ आ गया ठंडक पड़ी कलेजे को,
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जेठ गया, आषाढ़ आ गया ठंडक पड़ी कलेजे को
 
श्याम सलोने जैसे लगते घन कजरारे आँगन में।
 
श्याम सलोने जैसे लगते घन कजरारे आँगन में।
 
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17:28, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

बहुत दिनों के बाद खिले दो फूल हमारे आँगन में
वो आखों के तारे, वो घर के उजियारे आँगन में।

घर के कोने - कोने में जैसे बहार -सी छाई है
रंग बिरंगी उड़ें तितलियाँ साँझ - सकारे आँगन में।

जहाँ कभी खामोशी थी अब किलकारी की गूँजें है
खेल रहा घर पूरा -पूरा प्यारे - प्यारे आँगन में।

स्वच्छ चाँदनी के लिवास में अन्धेरा भी चमक उठा
रात परी जैसे उतरी है आज हमारे आँगन में।

जेठ गया, आषाढ़ आ गया ठंडक पड़ी कलेजे को
श्याम सलोने जैसे लगते घन कजरारे आँगन में।