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"केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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  केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है।
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  केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है
 
  है किसान मामूली -सा,पर बहुत बड़ा दिल रखता है।
 
  है किसान मामूली -सा,पर बहुत बड़ा दिल रखता है।
  
  वही अन्नदाता है सबका यह भी लोग बिसुर जाते,
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  वही अन्नदाता है सबका यह भी लोग बिसुर जाते
 
  चाँद  जो छूने निकले हैं उनका भी पेट वो भरता है।  
 
  चाँद  जो छूने निकले हैं उनका भी पेट वो भरता है।  
  
  पानी में जो तैर रहा वो आसमान का तारा है,
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  पानी में जो तैर रहा वो आसमान का तारा है
 
  सबसे ऊपर रहता है, पर सबसे नीचे दिखता है।
 
  सबसे ऊपर रहता है, पर सबसे नीचे दिखता है।
  
  ईश्वर ने किस ख़ता  पे उसकी पाला -पाथर दे मारा,
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  ईश्वर ने किस ख़ता  पे उसकी पाला-पाथर दे मारा
  हरा -भरा  था खेत, अभी वो श्मशान- सा जलता है।
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  हरा-भरा  था खेत, अभी वो श्मशान-सा जलता है।
  
किसके आगे हाथ पसारे, नाज़ है उसे किसानी पर,
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किसके आगे हाथ पसारे, नाज़ है उसे किसानी पर
 
वो भी अपने गाँव में दिल्ली और मुंबई रखता है।
 
वो भी अपने गाँव में दिल्ली और मुंबई रखता है।
 
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17:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

 केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है
 है किसान मामूली -सा,पर बहुत बड़ा दिल रखता है।

 वही अन्नदाता है सबका यह भी लोग बिसुर जाते
 चाँद जो छूने निकले हैं उनका भी पेट वो भरता है।

 पानी में जो तैर रहा वो आसमान का तारा है
 सबसे ऊपर रहता है, पर सबसे नीचे दिखता है।

 ईश्वर ने किस ख़ता पे उसकी पाला-पाथर दे मारा
 हरा-भरा था खेत, अभी वो श्मशान-सा जलता है।

किसके आगे हाथ पसारे, नाज़ है उसे किसानी पर
वो भी अपने गाँव में दिल्ली और मुंबई रखता है।