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"अब तो किसी भी बात पर चौंकता कोई नहीं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | अब तो किसी भी बात पर चौंकता कोई | + | अब तो किसी भी बात पर चौंकता कोई नहीं |
गाँव में निकला है अजगर चौंकता कोई नहीं। | गाँव में निकला है अजगर चौंकता कोई नहीं। | ||
− | लाश जंगल में मिली मासूम लडकी की पड़ी | + | लाश जंगल में मिली मासूम लडकी की पड़ी |
अफ़सोस है सबको मगर चौंकता कोई नहीं। | अफ़सोस है सबको मगर चौंकता कोई नहीं। | ||
− | रोज़ अखबारों में छपती है ख़बर छपती रहे | + | रोज़ अखबारों में छपती है ख़बर छपती रहे |
अब घोटालों की ख़बर पर चौंकता कोई नहीं। | अब घोटालों की ख़बर पर चौंकता कोई नहीं। | ||
− | गंदगी के ढेर पर आराम से बैठे हैं सब | + | गंदगी के ढेर पर आराम से बैठे हैं सब |
बीमार है पूरा शहर चौंकता कोई नहीं। | बीमार है पूरा शहर चौंकता कोई नहीं। | ||
− | पत्तियाँ झुलसीं सुलग कर रह गये हैं फूल तक | + | पत्तियाँ झुलसीं सुलग कर रह गये हैं फूल तक |
है सामने जलता शज़र चौंकता कोई नहीं। | है सामने जलता शज़र चौंकता कोई नहीं। | ||
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17:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
अब तो किसी भी बात पर चौंकता कोई नहीं
गाँव में निकला है अजगर चौंकता कोई नहीं।
लाश जंगल में मिली मासूम लडकी की पड़ी
अफ़सोस है सबको मगर चौंकता कोई नहीं।
रोज़ अखबारों में छपती है ख़बर छपती रहे
अब घोटालों की ख़बर पर चौंकता कोई नहीं।
गंदगी के ढेर पर आराम से बैठे हैं सब
बीमार है पूरा शहर चौंकता कोई नहीं।
पत्तियाँ झुलसीं सुलग कर रह गये हैं फूल तक
है सामने जलता शज़र चौंकता कोई नहीं।