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"इन गलियों में चले चलो, बस कुछ मत सोचो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | इन गलियों में चले चलो, बस कुछ मत | + | इन गलियों में चले चलो, बस कुछ मत सोचो |
प्यार करों तो प्यार करो, बस कुछ मत सोचो। | प्यार करों तो प्यार करो, बस कुछ मत सोचो। | ||
− | यूँ पतझर का आना-जाना लगा रहे | + | यूँ पतझर का आना-जाना लगा रहे |
हर मौसम में खिले रहो, बस कुछ मत सोचो। | हर मौसम में खिले रहो, बस कुछ मत सोचो। | ||
− | बार -बार तो मत कोसो अपनी क़िस्मत को | + | बार -बार तो मत कोसो अपनी क़िस्मत को |
थेाडा-सा संतोष करेा, बस कुछ मत सोचो। | थेाडा-सा संतोष करेा, बस कुछ मत सोचो। | ||
− | कल भी तो बच्चों की ख़ातिर फ़ाके़ ही थे | + | कल भी तो बच्चों की ख़ातिर फ़ाके़ ही थे |
आज भी भूखे पड़े रहो, बस कुछ मत सोचो। | आज भी भूखे पड़े रहो, बस कुछ मत सोचो। | ||
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17:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
इन गलियों में चले चलो, बस कुछ मत सोचो
प्यार करों तो प्यार करो, बस कुछ मत सोचो।
यूँ पतझर का आना-जाना लगा रहे
हर मौसम में खिले रहो, बस कुछ मत सोचो।
बार -बार तो मत कोसो अपनी क़िस्मत को
थेाडा-सा संतोष करेा, बस कुछ मत सोचो।
कल भी तो बच्चों की ख़ातिर फ़ाके़ ही थे
आज भी भूखे पड़े रहो, बस कुछ मत सोचो।