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"दबे पाँवों से चलकर वक़्त हर लम्हा गुज़रता था / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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दबे पाँवों से चलकर वक़्त हर लम्हा गुज़रता था।
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दबे पाँवों से चलकर वक़्त हर लम्हा गुज़रता था
 
अभी लंबा सफ़र है कह के मैं गफलत में रहता था।
 
अभी लंबा सफ़र है कह के मैं गफलत में रहता था।
  
जिसे अपना समझ बैठा वो  तो मेहमान का था घर,
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जिसे अपना समझ बैठा वो  तो मेहमान का था घर
 
वो ताक़त दूसरे की थी जिसे अपनी समझता था।
 
वो ताक़त दूसरे की थी जिसे अपनी समझता था।
  
तुम्हारा साथ कुछ दिन के लिए बस मिल गया वरना,
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तुम्हारा साथ कुछ दिन के लिए बस मिल गया वरना
 
बडा नीरस ये जीवन  था, बडा ही बोझ लगता था।
 
बडा नीरस ये जीवन  था, बडा ही बोझ लगता था।
  
मुझे मालूम  था सूरज  कभी  भी  डूब सकता है,
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मुझे मालूम  था सूरज  कभी  भी  डूब सकता है
 
तेरी  चाहत  का इक  दीया  हमेशा  साथ रखता था।
 
तेरी  चाहत  का इक  दीया  हमेशा  साथ रखता था।
  
इधर  आँखें  मुँदी  मेरी  उधर  चर्चे  लगे होने,
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इधर  आँखें  मुँदी  मेरी  उधर  चर्चे  लगे होने
 
वही अच्छा  बताता  है  जो कल कुछ और कहता था।
 
वही अच्छा  बताता  है  जो कल कुछ और कहता था।
 
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17:32, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

दबे पाँवों से चलकर वक़्त हर लम्हा गुज़रता था
अभी लंबा सफ़र है कह के मैं गफलत में रहता था।

जिसे अपना समझ बैठा वो तो मेहमान का था घर
वो ताक़त दूसरे की थी जिसे अपनी समझता था।

तुम्हारा साथ कुछ दिन के लिए बस मिल गया वरना
बडा नीरस ये जीवन था, बडा ही बोझ लगता था।

मुझे मालूम था सूरज कभी भी डूब सकता है
तेरी चाहत का इक दीया हमेशा साथ रखता था।

इधर आँखें मुँदी मेरी उधर चर्चे लगे होने
वही अच्छा बताता है जो कल कुछ और कहता था।