भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
 
तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार
 
तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार
पकड़ गया तो चोर बनेगा, बचेगा थानेदार।
+
पकड़ गया तो चोर बनेगा, बचे तो थानेदार।
  
 
लोग भेड़िया कहते उसको, यही है उसकी जात
 
लोग भेड़िया कहते उसको, यही है उसकी जात

15:22, 24 अगस्त 2017 का अवतरण

तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार
पकड़ गया तो चोर बनेगा, बचे तो थानेदार।

लोग भेड़िया कहते उसको, यही है उसकी जात
दिखने में जो चुप्पा हो पीछे हो पर, खूँखार।

देश कहाँ जा रहा सवाल ये मुझसे पूछोगे
कल का वो स्मगलर अब सीमा पर पहरेदार।

हर कुर्सी, हर दफ़्तर है संदेह के घेरे में
बड़ा भयानक छुआछूत का रोग है भ्रष्टाचार।

दोनों ख़बरे एक साथ थीं अख़बारों में कल
गोदामों में माल सड़ रहा, मँहगाई की मार।