भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्या अच्छा, क्या बुरा सफ़र है चलना है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
आने वाले कल का स्वागत करना है।
 
आने वाले कल का स्वागत करना है।
  
हमम र जायें खाली हाथ ये कैसे हो
+
हम मर जायें खाली हाथ ये कैसे हो
 
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर मरना है।
 
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर मरना है।
 
</poem>
 
</poem>

15:45, 24 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

क्या अच्छा, क्या बुरा सफ़र है चलना है
मिलें फूल या मिलें शूल क्या कहना है।

अपनी ताक़त को पहचानो शान्त रहो
दरिया हो तो दरिया जैसा दिखना है।

आज का सूरज डूब गया तो डूब गया
आने वाले कल का स्वागत करना है।

हम मर जायें खाली हाथ ये कैसे हो
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर मरना है।