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"सन्नाटा / अर्चना कुमारी" के अवतरणों में अंतर

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12:50, 27 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

सारी दुनिया लिखने वाला
नहीं लिख पाता अपनी ही कहानी
तमाम लफ़्ज़ों को बहलाता
खुद को झुठलाता
एक वही जानता है
कि वो जो लिख नहीं सकता कभी
वही सच है...
अपनी कहानियों के नाम
सन्नाटे गूंजते हैं।