भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुदगुदी / अर्चना कुमारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह=प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:34, 27 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

प्रेम के पेट में
पांव से गुदगुदी करने पर
देह में भरती है झुरझुरी

आत्मा भरकर झुनझुनी से
झटकती है जकडऩ भरे सवाल
प्यास और भूख की

होंठ का सूखापन जीभ भिगोती है
आंखों की सफेदी लाल होकर
तपाकर खोलती है बंधन रोम-रोम के

अवश हाथ गर्दनों तक जाकर
देह पर देह झुकाते हैं
गाल गुदगुदाते हैं

रुह का अनछुआपन
देह की छुअन से परे
टोहता है
अपने हिस्से की ऊंगलियां
गुदगुदाहट वाली

प्रेम को दिखती हैं
सरसराती फिसलती ऊंगलियां
वह पांव समेटकर
रुह के तल पर ढूंढती हैं
निशान नर्म कोमल ऊष्ण स्पर्श के।