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"चिन्मय भोर / कल्पना 'मनोरमा'" के अवतरणों में अंतर

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ज्ञान की जलती अँगीठी,
 
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पर सिंकें रोती कहाँ से  
 
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विहग कलरव में मचलती  
 
विहग कलरव में मचलती  
 
एक तन्मय भोर लें,  
 
एक तन्मय भोर लें,  
 
बाँटे उजाले।
 
बाँटे उजाले।
 
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12:34, 9 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

ढूंढ लायें क्यारियों से
एक चिन्मय भोर
फिर बाँटें उजाले।

चिमनियों ने छितिज से
शबनम चुराई रात रोई
बुलबुलों ने कंठ मे सरगम
छिपाई,बात खोई
माँग लें व्यापारियों से
एक विनिमय भोर
फिर बाँटें उजाले।

सीपियों के पेट खारा जल
बने मोती कहाँ से
ज्ञान की जलती अँगीठी,
पर सिंकें रोती कहाँ से
विहग कलरव में मचलती
एक तन्मय भोर लें,
बाँटे उजाले।