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"लहसन / रामनरेश पाठक" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारी कोमल मांसल बाँह पर
एक लहसन है
उसे चूमें
पलकों छुए
कई प्रकाश वर्ष बीत गए हैं