भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इज़्ज़तपुरम्-23 / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:59, 18 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

वासना के
ज्वलनशील
बारूद पर
बैठी बेचारी
एक नारी
अभिशप्त जीवन का
पर्याय बन गयी

पुरूषों के
दोहरे मापदण्डों
और नीतियों की
छली बेबस

बाहर से
रंगी-पुती
सजी-सँवरी
भीतर से
जर्जर और खोखली
यानी एक तरफ
मॉ-बहन-बेटी
आदर सूचक शब्द
तो दूसरी तरफ
अभद्र गालियाँ भी

इसीलिए
पराश्रिता
ढूँढती है
पुख्ता और सुनिश्चित
चहारदीवारी