भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इज़्ज़तपुरम्-35 / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:04, 18 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

निर्बल-निष्क्रिय
खेाखला जिस्म
पुरूष का
जैसे दीमक
खाता हल
बिना फार का

पेटू-नामर्द-कापुरूष
रोज-रोज के तानों
और विषबुझे बाणों से
घायल करमू
बिस्तर पर
पड़ा-पड़ा
सोचता है
आर्द्र लकड़ी
आग के स्पर्श में भी
धुँए ही उगले
और तरसे
जीवन के ताप को