भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तख़्ती / निधि सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निधि सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:12, 12 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
देखो
तुम्हारे घर को किस करीने से
झाड़ा बुहारा
चौका किया
चौक पूरे
आँगन महकाया
दीवार पर मांडने बनाये
ड्योढी पर अल्पना सजाई
बंदनवार बांधे
सुनो..अबकी बार दरवाज़े पर टांगने के लिए
तख़्ती बनवाओ
तो अपने नाम के साथ
मेरा भी नाम जोड़ना.