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"तख़्ती / निधि सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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15:12, 12 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

देखो
तुम्हारे घर को किस करीने से
झाड़ा बुहारा

चौका किया
चौक पूरे
आँगन महकाया
दीवार पर मांडने बनाये
ड्योढी पर अल्पना सजाई
बंदनवार बांधे

सुनो..अबकी बार दरवाज़े पर टांगने के लिए
तख़्ती बनवाओ
तो अपने नाम के साथ
मेरा भी नाम जोड़ना.