"दमड़ी / ब्रजमोहन" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजमोहन |संग्रह=दुख जोड़ेंगे हम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
चमड़ी बेशक जाए रे भैया, दमड़ी लियो बचाए | चमड़ी बेशक जाए रे भैया, दमड़ी लियो बचाए | ||
चमड़ी तो फिर आ जाएगी, दमड़ी आए न आए | चमड़ी तो फिर आ जाएगी, दमड़ी आए न आए | ||
− | + | रे भैया दमड़ी का ही राज | |
− | + | दमड़ी के सर पे ही ताज | |
− | + | दुनिया दमड़ी की मोहताज... हो... | |
सारा ख़ून-ख़राबा लूट और मारकाट के क़िस्से | सारा ख़ून-ख़राबा लूट और मारकाट के क़िस्से | ||
दमड़ी के लोभी करवाते खाते सबके हिस्से | दमड़ी के लोभी करवाते खाते सबके हिस्से | ||
राम के नाम का चक्कर कोई दमड़ी न ले जाए | राम के नाम का चक्कर कोई दमड़ी न ले जाए | ||
− | + | रे भैया... | |
ऊँच-नीच औ’ जात-पात औ’ हिन्दू-मुस्लिम दंगे | ऊँच-नीच औ’ जात-पात औ’ हिन्दू-मुस्लिम दंगे | ||
ज़ालिम दमड़ी के चेहरे ही हैं, ये रंग-बिरंगे | ज़ालिम दमड़ी के चेहरे ही हैं, ये रंग-बिरंगे | ||
मरे हज़ारों-लाखों, चाहे देश भाड़ में जाए | मरे हज़ारों-लाखों, चाहे देश भाड़ में जाए | ||
− | + | रे भैया... | |
झण्डे-कुरते-टोपी-कुरसी-लाठी-गोली-फ़ौज | झण्डे-कुरते-टोपी-कुरसी-लाठी-गोली-फ़ौज | ||
गंगू तेली पर शासन दमड़ी का राजा भोज | गंगू तेली पर शासन दमड़ी का राजा भोज | ||
दमड़ी का रथ चले ख़ून की सड़कों पर इतराय | दमड़ी का रथ चले ख़ून की सड़कों पर इतराय | ||
− | + | रे भैया... | |
</poem> | </poem> |
13:25, 16 अक्टूबर 2017 का अवतरण
चमड़ी बेशक जाए रे भैया, दमड़ी लियो बचाए
चमड़ी तो फिर आ जाएगी, दमड़ी आए न आए
रे भैया दमड़ी का ही राज
दमड़ी के सर पे ही ताज
दुनिया दमड़ी की मोहताज... हो...
सारा ख़ून-ख़राबा लूट और मारकाट के क़िस्से
दमड़ी के लोभी करवाते खाते सबके हिस्से
राम के नाम का चक्कर कोई दमड़ी न ले जाए
रे भैया...
ऊँच-नीच औ’ जात-पात औ’ हिन्दू-मुस्लिम दंगे
ज़ालिम दमड़ी के चेहरे ही हैं, ये रंग-बिरंगे
मरे हज़ारों-लाखों, चाहे देश भाड़ में जाए
रे भैया...
झण्डे-कुरते-टोपी-कुरसी-लाठी-गोली-फ़ौज
गंगू तेली पर शासन दमड़ी का राजा भोज
दमड़ी का रथ चले ख़ून की सड़कों पर इतराय
रे भैया...